मैं कभी बतलाता नहीं
बार मैं डेली जाता हूँ मैं माँ ...
यूँ तो मैं, दिखलाता नहीं
दारू पीकर रोज़ आता हूँ मैं माँ ....
तुझे सब है पता, हैं न माँ ...
तुझे सब है पता, मेरी माँ ...
ठेके पे यूँ न छोडो मुझे ,
घर लौट के भी आ ना पाऊँ मैं माँ ...
पौवा लेने भेज न इतना दूर मुज्को तू ,
घर भी भूल जाऊँ मैं माँ ...
क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ ...
क्या इतना
मैं कभी बतलाता नहीं
बार मैं डेली जाता हूँ मैं मा
Mehfil-e-Shayari
Tuesday, April 1, 2008
Subscribe to:
Posts (Atom)